Tuesday, April 7, 2009

बापू के नाम पत्र


बापू के नाम पत्र के द्वार मैंने अपनी अभिव्यक्तियों कों प्रकट करने का तरीका अपनाया है,जिसमे रोज एक पत्र के द्वारा किसी घटना पर विश्लेषण किया जायेगा!
-कृष्ण कुमार द्विवेदी


परम पूज्य बापू जी
सादर प्रणाम
पिछले दिनों मैंने आपको भारत के बारे में विस्तार से बताया!लेकिन आज एक बड़ी घटना घटित हो गयी !बापू जी जानते हो,आज भारत के गृहमंत्री पी.चिदंबरम पर एक पत्रकार ने जूता चला दिया !बापू इसे लोक्तान्यरा पर तमाचा कहा जाये या नेतागिरी पर ?खैर जिस पर भी कहें ये दोनों तरह से शर्मनाक है!लोकतंत्र पर तमाचे तो लगातार पड़ते चले आ रहे है,कभी नेताओ के द्वारा तो कभी जनता के द्वारा !लेकिन आज लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ने जिसमे कहीं न कहीं एक लोक भी सम्मिलित था जिसने जुटा फेंककर मार दिया!पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ का स्तम्भ होता है जो जनता को शिक्षित करने,जागरूक करने का काम करता है,लेकिन जब इस अंग ने इस घटना को अंजाम दिया तो लगा इस घटना के बाद एक पत्रकार पर उसके अन्दर छिपा एक आमजन हावी गया!कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में गृहमंत्री जी सम्भोधित कर रहे थे!जरनैल सिंह जो कि दैनिक जागरण के संवाददाता है,ने १९८४ दंगों के आरोपियों के बारे में कुछ सवाल दागे!वे मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं थे या नहीं लेकिन १९८४ का दर्द उनके सीने में सुलग रहा था!और उसने अपनी भड़ास एक जूते के द्वारा निकाल दी!कारन था जगदीश टाइटलर जो आरोपी थे,और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे है!पत्रकार महोदय का तर्क था कि सीबीआई ,गृह मंत्रयालय के अधीन होता है और गृहमंत्री जी ने आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया!आरोपी कांग्रेसी था था नहीं लेकिन वर्तमान में कांग्रेस में है,उसका टिकट निरस्त किया जाये!
चुनाव नजदीक है मंत्री जी ने तो पत्रकार बाबू को माफ़ कर दिया!चुनाव कि वजह से और सारे मीडिया की वजह से मंत्री जी तो शांत हो गए लेकिन कही न कही एक टीस जरुर रह गयी होगी कि
"वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ये जरनैल ,
हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है "
बापू सारा मामला जिस प्रकार से था मैंने आपको बता दिया!लेकिन इस तरह की घटना पहले इराक में भी हो चुकी है!इराक के एक पत्रकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति बुश पर जूता चला दिया,उसे तीन साल की सजा हो गयी!बापू अब तो यह तरकीब "मेड इन इराक"कहलाई न!कुछ मजा नहीं आया न!हम दुसरो कि नक़ल क्यों करते है?हम अपनी तरकीब क्यों नहीं आजमाते?अब तक हम "मेड इन चाइना"और "मेड इन जापान" वाली प्रयोग करते थे,आज हमने "मेड इन इराक" का मजा भी चख लिया!
खैर इस घटना से कुछ भी फर्क न पड़ा हो लेकिन कहीं न कहीं इससे किसी समुदाय का विरोध जरुर प्रकट होता है !अब लगता है बापू जनता जागरूक होने लगी है,उनके मन में नेताओं के प्रति विरोध के स्वर मुखर हो रहे है!शायद यह जागरूकता बहुत पहले हो जानी चाहिए थी!बापू मई आपके बताये रास्ते अहिंसा का विरोध नहीं कर रहा हूँ लेकिन विरोध तो जनता कर सकती थी न!भ्रष्ट,कामचोर,दल-बदलू नेताओ को जनता का सबक जरुर मिलना चाहिए!यही विरोध सारे भारत में हो जाये तोबेह्तर हो!जब प्रत्यासी जनता के दरवाजे पर वोट मांगने जाए तो उनसे पूरे पञ्च साल का हिसाब माँगा जाये और भावी योजनाओं के बारे में अवगत कराया जाये!उसी प्रत्यासी को वोट किया जाये जो बेहतर हो!न कि जातिवाद को,वंशवाद को,क्षेत्रवाद को!
बापू मुझे एक अंदेशा लग रहा है जब अमेरिका में चुनाव हो चुके थे,नतीजा बाकी था,तब जॉर्ज बुश को जूता पड़ा था और बाद में नतीजे में बुश की पार्टी हार गयी!यहाँ तो चुनाव के पहले ही जूते चल गए,कहीं ये इनकी पार्टी की लुटिया डूबने का संकेत तो नहीं!खैर जो भी हो!नतीजे जैसे भी रहेगे!मै आपको पल पल की खबर देता रहूगा !
अब ज्यादा समय हो रहा है,मुझे कुछ कम से निकलना भी है,जब आपसे कभी मुलाक़ात होगी तो बिस्तार से चर्चा करूँगा!
अच्छा बापू अब,लेखनी को आज्ञा दीजिये!
प्रणाम

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