Saturday, April 4, 2009

यह खुशी के पल रजनीश जी के साथ

एक खुशी का पल जब दो मित्र हृदेश अग्रवाल और भाई रजनीशजी

लाडली


कब तलक अपनी भारत की बेटी बलि की वेदी पर चद्ती रहे...
कब तलक अपनी भारत की बेटी
बलि की वेदी पर चद्ती रहेगी
लेना देना दहेजों का छोडो
वरना इज्ज़त न कायम रहेगी
चांदी सोने के टुकडों पर बेटी
जाने कब तक बिकती रहेंगी
१-माँ के दिल में है अरमाँ मचलते
बेटी महलों की रानी बनेगी
क्या पता था की शादी से पहले
शहजादी कफ़न ओढ़ लेगी
२-उस पिता के ह्रदय से तो पूंछो
जिसके घर में है बेटी सयानी
रात दिन बस यही सोचता है
मांग बेटी की कैसे भरेगी
3-आओ मिल के शपथ ले लें हम सब
न देंगे दहेज़ न लेंगे
जब चलेंगे इसी रास्ते पर
तब गरीबी हमारी मिटेगी........
- कृष्ण कुमार द्विवेदी"किशन"