मै बचपन से ही विचारक प्रवृत्ति का रहा हूँ...लेकिन अभी तक कोई माध्यम नही मिला जिससे कि दिल कि आवाज़ को लोगों तक पंहुचा सकूँ !लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के बाद विचारो को अभिव्यक्त करने का जज्बा भड़क उठा और लोगों से जुड़ने का अच्छा माध्यम लगा ब्लॉग और बना लिया विचारो को लिखने का आशियाना...
Friday, March 6, 2009
होली के हुडदंग
१-बापू तेरे राज में भांति-भांति के लोग
कुछ अजगर से भी बड़े है,कुछ कालिया के है सौत
2-बुरा जो देखन मै चला,बुरा मिला न कोय
शान्ति दूतों पर हुआ हमला,इससे बुरा क्या होय
3-अजगर करें न चाकरी,पंछी करें न काम
सरकार बचाने में सबके,अलग अलग है दाम
4-पीकर दूध गाय का,चारा लियो डकार
चाहत पीएम की कुर्सी की,आवे नंबर हमार
5-राजनीति में सब जायज है,सामवेद,अर्थ,दंड
कोयला मंत्री नहीं बनूँगा,बनना है सीएम झारखंड
6-माया तोहरे गलियारे में भांति-भांति के खेल
उठापटक,धरपकड़ से लेकर,बाद में सबको बेल
7-नेता सरे फल भखें,नेता खावें खीर
निज स्वारथ के काज हित,नेता धरयौ शरीर
8-अस्थि चर्म मय देह मम,ता में ऐसी प्रीत
ब्यूटी पार्लर का कमाल है,अब चुनाव भी लेगें जीत
-कृष्ण कुमार द्विवेदी
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