२४ घंटे न्यूज़ चैनल के उद्भव के समय समाचार पत्र के बारे में तरह तरह के कयास लगाये गए कि समाचार पत्र अब जल्द ही पुराने ज़माने की पुरानी चीजे हो जायेगें,लेकिन इस बदलते परिवेश में भी समाचार पत्रों ने अपने अस्तित्व को बनाये रखा,नए नए आयामों को तय किया .......लेकिन शायद अब ये समाचार पत्र राजधानी के एक पत्रकारिता के शिक्षण संसथान में गुजरे ज़माने की पुरानी चीजे होने वाले है....विद्ध्यालय प्रबंधन के लिए ये अब पुराने सिक्कों से ज्यादा कुछ नहीं है.......पंजाब केसरी की सम्पादकीय जहाँ युवाओं में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की अलख जगाया करता है......तो जनसता के व्यंगात्मक लेख अपने आप में विशिष्ट है.....
सीधे तौर पर कहा जाये तो पत्रकारिता का ककहरा सीखने वाले छात्रो के लिए तो ये संजीवनी से कम नहीं....लेकिन पीपुल्स पत्रकारिता शिक्षण संसथान के छात्रों को अब ये समाचार पत्र पढने को नहीं मिलेगे......
विद्यालय प्रबंधन के एक निर्णय के अनुसार और मिली सुचना के अनुसार कॉलेज के लायब्रेरी में सारी मेग्जींस और राष्ट्रिय समाचार पत्र अब उपलब्ध नहीं हो पायेगे.....
लायब्रेरी में अब केवल दैनिक भास्कर,राज एक्सप्रेस,पत्रिका,और ग्रुप का पीपुल्स समाचार ही उपलब्ध रहेगा|
पता नहीं पत्रकारिता के इस संसथान में पत्रकारों के लिए इतनी मुट्ठी तंग क्यों की जा रही है......बदलते परिवेश और पत्रकारिता में हो रहे बदलावों से भावी पत्रकार कैसे रु ब रु हो पायेगे...
कॉलेज में न्यूज़ चैनल देखने के लिए और उसकी बारीकियों को सीखने के लिए कोमन रूम की व्यवस्था पहले से ही नहीं है...और अब समाचार पत्रों के बंद होने से पत्रकारिता के छात्र अपनी जिज्ञासा की प्यास कैसे बुझा पायेगे....
पत्रकारिता के छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा....कैसी होगी इस कॉलेज की नई पौध ....ये तो कुछ कहा नहीं जा सकता...लेकिन ये बात बिलकुल तय है..कि मानव मूल्यों के सरोकार की पत्रकारिता को कर पायेगे ये छात्र.....इस संस्थान का तो भगवान ही मालिक है......
सभी छात्रों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये.....
1 comment:
क्या हुआ भाई? ये तो अभी शुरुआत है. आगे ऐसे कई मोड़ मिलेंगे जहाँ इससे भी भयावह स्थितियों से सामना होगा. हो सकता है की संस्था आपके भविष्य के लिए ही इस तरह की स्थिति का निर्माण कर रही हो, ताकि आगे चलकर जो शोषण होगा उससे आप भली-भांति परिचित हों.
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