सैर करने गया मै
देखते ही देखते
चौराहे पर मर गया कौवा
कुचलकर किसी वाहन से
भीड़ इकट्ठी हो गई
हजारों कौवों की
कोलाहल हो गया
सारी सड़क पर
आगे कत्ल हो गया गली में
किसी इंसान का
देखते ही देखते
बंद हो गई सभी दुकानें
पता न लगा एक भी इन्सान का
सोचने लगा में भी,
क्या कीमत है इन्सान की
गायब हो जाते है
सभी मौत पर इन्सान की
गए सैर करने हम
राह नापते रहे
घर हमारा जल गया
लोग थे की दूर से तापते ही रहे !
-कृष्ण कुमार द्विवेदी
1 comment:
लोग थे की दूर से तापते ही रहे !
bahut dur tak tamacha mara
regards
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